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UP : (agency) उत्तर प्रदेश बिजली संघर्ष समिति के 72 घंटे की सांकेतिक हड़ताल का असर अब दिखने लगा है. प्रदेश के तमाम जिलों में बिजली गुल हो गई है. कई गांव तीन दिन से अंधेरे में डूबे हुए हैं. इस बीच बिजली संकट से परेशान लोग सड़कों पर उतर आए हैं. पूर्वांचल से लेकर पश्चिमांचल तक घरों से लेकर उद्योग धंधों पर इस हड़ताल का असर पड़ा है |

उधर सरकार और बिजली यूनियन के नेताओं के बीच चली वार्ता बेनतीजा रही. जिसके बाद यूनियन नेताओं ने हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया. रविवार को भी ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और यूनियन के नेताओं के नीच वार्ता होगी. सरकार की तरफ से वार्ता के साथ ही एक्शन का दौर भी जारी है. अभी तक 1332 संविदाकर्मियों को बर्खास्त किया जा चुका है, जबकि लखनऊ के हजरतगंज में 22 यूनियन नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. यूनियन के संयोजक शैलेंद्र दुबे समेत तमाम नेताओं की कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है | गाजियाबाद से लेकर इटावा तक लोग सड़क पर उतर आए….और अपनी नाराजगी जाहिर की है. पूर्वांचल समेत पूरा उत्तर प्रदेश अंधेरे में डूबा हुआ है…सरकार और हड़ताली कर्मचारियों के बीच बातचीत विफल हो गई है |

सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विद्युत प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी कीमत पर उपभोक्ताओं की अनदेखी न होने पाए। उद्योगों को भी पर्याप्त बिजली दी जाए। अधिकारियों ने बताया कि अभी मार्च माह तक वे उत्पादन कम होने के बाद भी निर्बाध बिजली देने की स्थिति में है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हड़ताल पर जाने वालों से सख्ती से निपटने का निर्देश दिया है।